प्रयागराज की पावन धरती पर लगने वाला महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है। 12 वर्षों के अंतराल के बाद होने वाला यह समागम श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम है। हालांकि महाकुंभ की मुख्य तिथियाँ जनवरी-फरवरी 2025 में हैं, लेकिन इसका प्रभाव और यात्रियों का तांता 2026 के माघ मेले तक जारी रहता है।
यदि आप भी इस महाकुंभ का हिस्सा बनने जा रहे हैं, तो यहाँ शाही स्नान की तिथियों और आपके प्रवास के लिए एक संपूर्ण गाइड दी गई है:
शाही स्नान की तिथियाँ
1. महाकुंभ 2025: प्रमुख स्नान और शाही स्नान की तिथियाँ
महाकुंभ का प्रारंभ 13 जनवरी 2025 से होगा और इसका समापन महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025) को होगा। इस दौरान 3 ‘शाही स्नान’ सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें अखाड़ों के साधु-संत सबसे पहले डुबकी लगाते हैं।
| उत्सव (Festival) | तिथि (Date) | स्नान का प्रकार |
| पौष पूर्णिमा | 13 जनवरी 2025 | शुभ आरंभ (कल्पवास शुरू) |
| मकर संक्रांति | 14 जनवरी 2025 | प्रथम शाही स्नान |
| मौनी अमावस्या | 29 जनवरी 2025 | द्वितीय (मुख्य) शाही स्नान |
| बसंत पंचमी | 3 फरवरी 2025 | तृतीय (अंतिम) शाही स्नान |
| माघी पूर्णिमा | 12 फरवरी 2025 | कल्पवास की पूर्णता |
| महाशिवरात्रि | 26 फरवरी 2025 | समापन स्नान |
नोट: शाही स्नान के दिनों में भारी भीड़ होती है, अतः आम श्रद्धालुओं को प्रशासन द्वारा निर्धारित समय और घाटों पर ही स्नान की अनुमति मिलती है।
2. श्रद्धालुओं के लिए ‘स्मार्ट गाइड’ (2025-2026)
प्रयागराज प्रशासन ने इस बार महाकुंभ को ‘डिजिटल और सुलभ’ बनाने के लिए व्यापक इंतज़ाम किए हैं।

आवास और रुकने की व्यवस्था:
- टेंट सिटी: संगम क्षेत्र में आधुनिक सुविधाओं वाली टेंट सिटी बसाई गई है। आप अपनी सुविधा अनुसार लक्जरी या सामान्य टेंट बुक कर सकते हैं।
- होमस्टे: शहर के स्थानीय लोगों ने भी श्रद्धालुओं के लिए अपने घर खोले हैं, जिसे सरकारी पोर्टल के जरिए बुक किया जा सकता है।
परिवहन और पहुंच:
- नया हवाई अड्डा टर्मिनल: प्रयागराज एयरपोर्ट का विस्तार किया गया है, जिससे सीधी उड़ानें बढ़ गई हैं।
- शटल बसें: शहर के विभिन्न कोनों से मेला क्षेत्र तक पहुँचने के लिए हजारों इलेक्ट्रिक शटल बसें मुफ्त या बहुत कम शुल्क पर उपलब्ध होंगी।
- पार्किंग: यदि आप निजी वाहन से आ रहे हैं, तो मेला क्षेत्र से 5-10 किमी दूर ही वाहन पार्क करने होंगे, जहाँ से शटल बस का उपयोग करना होगा।
3. यात्रा के दौरान क्या साथ रखें?
- पहचान पत्र: आधार कार्ड या कोई भी सरकारी फोटो आईडी अनिवार्य है।
- गर्म कपड़े: जनवरी-फरवरी में प्रयागराज में कड़ी ठंड और गंगा किनारे तेज हवाएं होती हैं।
- दवाइयां: अपनी नियमित दवाइयां और प्राथमिक उपचार किट साथ रखें।
- पावर बैंक: भीड़ के कारण फोन की बैटरी जल्दी खत्म हो सकती है, इसलिए पावर बैंक जरूरी है।
- नकद (Cash): हालांकि डिजिटल पेमेंट हर जगह उपलब्ध है, फिर भी छोटे खर्चों के लिए नकद रखना बेहतर है।

4. महाकुंभ के विशेष आकर्षण
- डिजिटल कुंभ: एआई (AI) चैटबॉट ‘कुंभ सहायक’ श्रद्धालुओं को रास्ता दिखाने और जानकारी देने के लिए उपलब्ध रहेगा।
- ड्रोन शो: शाम के समय संगम की रेती पर 2000 से अधिक ड्रोन्स के माध्यम से ‘समुद्र मंथन’ की कथा दिखाई जाएगी।
- अखाड़ा दर्शन: साधु-संतों के शिविरों में जाकर आप उनकी जीवनशैली और प्रवचनों का लाभ उठा सकते हैं।
5. कुछ सावधानियां (Safety Tips)
- अकेले न घूमें: भीड़ बहुत ज्यादा होती है, इसलिए हमेशा अपने समूह या परिवार के साथ रहें।
- घाटों की सफाई: गंगा को स्वच्छ रखने में मदद करें और केवल निर्धारित घाटों पर ही स्नान करें।
- खोया-पाया केंद्र: जगह-जगह हेल्प डेस्क और लाउडस्पीकर लगे होते हैं, किसी भी समस्या होने पर पुलिस की मदद लें।
6. कल्पवास: एक महीने का आध्यात्मिक अनुशासन
महाकुंभ का सबसे कठिन और पवित्र हिस्सा ‘कल्पवास’ है।
- नियम और संयम: कल्पवासी संगम तट पर पूरे एक महीने तक कुटिया बनाकर रहते हैं। वे दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं, सात्विक जीवन जीते हैं और गंगा स्नान के बाद निरंतर जप-तप करते हैं।
- महत्व: माना जाता है कि कल्पवास करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि आप इसे अनुभव करना चाहते हैं, तो ‘पौष पूर्णिमा’ से ‘माघी पूर्णिमा’ तक का समय निर्धारित है।
7. अखाड़ों का इतिहास और पेशवाई (Grand Procession)
महाकुंभ का मुख्य आकर्षण 13 अखाड़े होते हैं।
- पेशवाई: जब साधु-संत हाथी, घोड़े और पालकियों पर सवार होकर गाजे-बाजे के साथ अपने लाव-लश्कर के साथ संगम तट पर पहुँचते हैं, तो उसे ‘पेशवाई’ कहते हैं।
- साधुओं के प्रकार: यहाँ आपको नागा साधु, ऊर्ध्वबाहु साधु (जो हाथ हमेशा ऊपर रखते हैं) और मौनी साधु (जो बात नहीं करते) के दर्शन होंगे। उनकी रहस्यमयी जीवनशैली को करीब से देखना एक अनोखा अनुभव है।

8. एआई (AI) और आधुनिक सुरक्षा व्यवस्था
इस बार प्रशासन ने सुरक्षा के लिए तकनीक का सहारा लिया है:
- क्राउड मैनेजमेंट: एआई-आधारित कैमरों का उपयोग किया जाएगा जो यह पहले ही भांप लेंगे कि किस घाट पर भीड़ ज्यादा हो रही है, ताकि भगदड़ जैसी स्थिति न बने।
- स्मार्ट साइनेज: मेला क्षेत्र बहुत बड़ा (हजारों हेक्टेयर) होता है। जगह-जगह डिजिटल बोर्ड लगे होंगे जो आपको आपकी लोकेशन और नजदीकी निकास द्वार की जानकारी देंगे।
9. ‘ग्रीन कुंभ’ और ‘प्लास्टिक मुक्त’ अभियान
पर्यावरण संरक्षण के लिए इस बार कड़े नियम लागू हैं:
- नो प्लास्टिक जोन: पूरे मेला क्षेत्र में प्लास्टिक बैग्स और सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पूरी तरह प्रतिबंधित है।
- बायो-टॉयलेट्स: गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के लिए लाखों की संख्या में आधुनिक बायो-टॉयलेट्स लगाए गए हैं।
10. महाकुंभ की सांस्कृतिक प्रदर्शनी और कला ग्राम
केवल धार्मिक स्नान ही नहीं, यहाँ भारत की विविधता के भी दर्शन होंगे:
- कला ग्राम: देश भर के शिल्पकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। यहाँ आप हस्तशिल्प और पारंपरिक वस्तुएं खरीद सकते हैं।
- सांस्कृतिक मंच: प्रतिदिन शाम को प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा भजन संध्या, शास्त्रीय नृत्य और लोक संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

11. यात्रियों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं
लाखों की भीड़ को देखते हुए चिकित्सा व्यवस्था को चाक-चौबंद किया गया है:
- अस्थायी अस्पताल: मेला क्षेत्र के हर सेक्टर में 24/7 चलने वाले अस्पताल होंगे।
- एयर एम्बुलेंस: आपातकालीन स्थिति के लिए एयर एम्बुलेंस और वॉटर एम्बुलेंस (नाव पर अस्पताल) की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।
12. महाकुंभ के दौरान खान-पान (Food Guide)
मेला क्षेत्र में भोजन के लिए कई विकल्प होंगे:
- अन्नक्षेत्र और भंडारे: अखाड़ों और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा विशाल भंडारे चलाए जाते हैं, जहाँ कोई भी निःशुल्क भोजन कर सकता है।
- फूड कोर्ट: आधुनिक पर्यटकों के लिए हाइजीनिक फूड कोर्ट्स भी बनाए गए हैं, जहाँ विभिन्न राज्यों के पकवान मिलेंगे।
13. यात्रा के लिए उपयोगी ऐप्स और वेबसाइट्स
आपकी यात्रा सुगम बनाने के लिए सरकार ने कुछ विशेष संसाधन जारी किए हैं:
- Kumbh Mela App: इसमें घाटों का नक्शा, पार्किंग की जगह, और खोया-पाया विभाग की लाइव जानकारी मिलेगी।
- आधिकारिक वेबसाइट: (kumbh.gov.in) पर जाकर आप टेंट की बुकिंग और आरती के समय की जांच कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
प्रयागराज महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर है। शाही स्नान की तिथियों के अनुसार अपनी यात्रा पहले से प्लान करें ताकि आप इस दिव्य अनुभव का आनंद बिना किसी बाधा के ले सकें।
