भुना चना सेहतमंद स्नैक माना जाता है। वजन घटाने से लेकर प्रोटीन की कमी तक, इसे रोज़मर्रा की डाइट में शामिल किया जाता है। लेकिन हाल के समय में बाजार में मिलने वाला हर भुना चना सुरक्षित और शुद्ध नहीं है। कुछ जगहों पर इसे जल्दी भूनने और रंग सुधारने के लिए केमिकल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
भुना चना इतना लोकप्रिय क्यों है?
इसके फायदे:
- हाई प्रोटीन
- लंबे समय तक पेट भरा रहता है
- लो फैट स्नैक
- डायबिटीज़ फ्रेंडली
- सस्ता और आसानी से उपलब्ध
इन्हीं वजहों से लोग इसे रोज़ खाना पसंद करते हैं।

भुना चना बनाने में किन केमिकल्स का इस्तेमाल हो सकता है?
बाजार में इस्तेमाल होने वाले संदिग्ध पदार्थ:
- आर्टिफिशियल रंग
- पॉलिशिंग केमिकल
- जल्दी भूनने वाले कैमिकल गैस
- प्रिज़रवेटिव्स
तेज़ मुनाफ़े के चक्कर में कुछ व्यापारी चने को नैचुरल तरीके से भूनने की बजाय केमिकल प्रोसेस अपनाते हैं, जिससे चने का रंग और चमक तो बढ़ती है, लेकिन पोषण खत्म हो जाता है।
केमिकल युक्त भुना चना खाने से क्या नुकसान हो सकता है?
संभावित हेल्थ रिस्क:
- पेट दर्द और गैस
- लिवर पर असर
- एलर्जी और स्किन रैश
- बच्चों में हार्मोनल समस्या
- लंबे समय में कैंसर का खतरा
नकली और केमिकल युक्त भुना चना पहचानने के आसान तरीके
1. रंग देखकर पहचानें
- बहुत ज़्यादा चमकदार या एक जैसा रंग = शक
- नैचुरल चना हल्का भूरा और असमान रंग का होता है
2. पानी टेस्ट
- चने को पानी में डालें
- अगर पानी पीला या रंगीन हो जाए → केमिकल मौजूद
3. हाथ से मसलकर देखें
- अगर हाथों में रंग चिपके → मिलावट संभव
4. स्वाद से पहचान
- बहुत कड़वा या अजीब स्वाद
- लंबे समय तक मुँह में कसैलापन
5. जलाने का टेस्ट (सावधानी से)
- चने को जलाने पर केमिकल गंध आए
- नैचुरल चना में हल्की मिट्टी जैसी खुशबू
पैक्ड बनाम खुले भुने चने: कौन बेहतर?
पैक्ड चना:
- ब्रांडेड
- एक्सपायरी डेट मौजूद
- FSSAI नंबर होता है
खुले चना:
- सस्ते
- मिलावट की संभावना ज्यादा
भरोसेमंद ब्रांड चुनना बेहतर है।
भुना चना खरीदते समय क्या सावधानी रखें?
खरीदारी टिप्स:
- FSSAI लाइसेंस चेक करें
- बहुत सस्ता दिखे तो शक करें
- लोकल, भरोसेमंद दुकान से लें
- ऑर्गेनिक विकल्प चुनें
घर पर सुरक्षित तरीके से भुना चना कैसे बनाएं?
आसान घरेलू तरीका:
- काले चने धोकर सुखाएँ
- धीमी आँच पर रेत में भूनें
- बिना तेल और केमिकल
- ठंडा करके स्टोर करें
घर पर भुना चना बनाने से न सिर्फ़ शुद्धता मिलती है, बल्कि स्वाद और पोषण भी बना रहता है

बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष सावधानी
- बच्चों को ज़्यादा सख्त चना न दें
- बुजुर्गों में पाचन समस्या हो सकती है
- हमेशा सीमित मात्रा में दें
भुना चना रोज़ खाना सही है या नहीं?
हाँ, अगर:
- शुद्ध हो
- सीमित मात्रा में हो
- केमिकल-फ्री हो
नहीं, अगर:
- ज़्यादा मात्रा
- मिलावटी चना
- पाचन कमजोर हो
भुना चना और पाचन तंत्र: सही मात्रा क्यों ज़रूरी है?
भुना चना फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा सेवन करने पर यह पाचन पर भारी पड़ सकता है।
ज़्यादा खाने से हो सकती हैं ये समस्याएँ:
- कब्ज
- गैस और एसिडिटी
- पेट में भारीपन
- नींद में खलल
जो लोग ऑफिस में लंबे समय तक बैठते हैं या पानी कम पीते हैं, उनके लिए ज्यादा भुना चना पेट की परेशानी बढ़ा सकता है। इसलिए मात्रा और पानी का संतुलन बहुत जरूरी है।
डायबिटीज़ मरीजों के लिए भुना चना: कितना सुरक्षित?
फायदे:
- लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स
- ब्लड शुगर धीरे बढ़ाता है
- लंबे समय तक पेट भरा रखता है
सावधानियाँ:
- नमक या मसाले वाला चना न लें
- एक बार में ज्यादा मात्रा न खाएँ
डायबिटीज़ मरीज 30–40 ग्राम तक सीमित रखें।
भुना चना और वजन घटाना: हकीकत क्या है?
सच यह है कि:
- भुना चना भूख कंट्रोल करता है
- ओवरईटिंग से बचाता है
- लेकिन एक्सरसाइज़ के बिना असर सीमित
अगर आप भुना चना खाते हुए भी जंक फूड नहीं छोड़ते, तो वजन कम नहीं होगा। यह सपोर्टिव फूड है, जादुई इलाज नहीं
केमिकल युक्त चना बच्चों के लिए क्यों ज्यादा खतरनाक?
बच्चों पर असर:
- हार्मोनल असंतुलन
- इम्यून सिस्टम कमजोर
- पेट और स्किन एलर्जी
बच्चों को हमेशा घर का बना या भरोसेमंद ब्रांड का चना ही दें।
भुना चना और दाँतों की समस्या
किन लोगों को दिक्कत हो सकती है?
- बुजुर्ग
- कमजोर दाँत
- ब्रेसेज़ लगाने वाले लोग
सलाह:
ऐसे लोग चना भिगोकर या हल्का नरम करके खाएँ।
स्टोरेज की गलतियाँ जो भुने चने को खराब कर देती हैं
गलत स्टोरेज से हो सकता है:
- फंगस
- बदबू
- पोषण की कमी
सही स्टोरेज टिप्स:
- एयरटाइट डिब्बा
- सूखी और ठंडी जगह
- 15–20 दिन से ज्यादा स्टोर न करें
FSSAI क्या कहता है भुने चने की शुद्धता पर?
FSSAI के अनुसार:
- खाद्य पदार्थों में आर्टिफिशियल रंग अवैध
- लेबलिंग जरूरी
- एक्सपायरी डेट अनिवार्य
बिना FSSAI नंबर वाले पैक्ड फूड से बचना चाहिए।
भुना चना खाने का सही समय
सबसे बेहतर समय:
- सुबह नाश्ते के साथ
- दोपहर में हल्की भूख लगने पर
रात में ज्यादा मात्रा में न खाएँ।
भुना चना बनाम उबला चना
| तुलना | भुना चना | उबला चना |
|---|---|---|
| पाचन | थोड़ा भारी | हल्का |
| शेल्फ लाइफ | ज्यादा | कम |
| पोषण | हाई प्रोटीन | संतुलित |
कमजोर पाचन वालों के लिए उबला चना बेहतर हो सकता है।
भुना चना खरीदते समय पूछे जाने वाले सवाल
- क्या यह रेत में भुना है?
- कोई रंग या पॉलिश तो नहीं?
- कब भुना गया था?
- स्टोरेज कैसे किया गया?
अपडेटेड निष्कर्ष
भुना चना एक बेहतरीन देसी सुपरफूड है, लेकिन मिलावट और केमिकल्स इसे ज़हर बना सकते हैं। सही जानकारी, सही पहचान और सीमित मात्रा से ही इसका असली फायदा मिलता है।
याद रखें — सेहत में सस्तापन नहीं, समझदारी ज़रूरी है।