खेती-किसानी के बदलते दौर में तकनीक ने अब जमीन से आसमान तक का सफर तय कर लिया है। भारतीय कृषि में ड्रोन (Kisan Drone) का प्रवेश एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रहा है। साल 2025-26 तक आते-आते, ड्रोन न केवल बड़े फार्म हाउस बल्कि छोटे गांवों के खेतों में भी नजर आने लगे हैं।
यहाँ ड्रोन फार्मिंग के फायदों, तकनीक और भारत सरकार द्वारा दी जा रही भारी सब्सिडी की पूरी जानकारी दी गई है:

भारतीय किसानों के लिए नई तकनीक और सरकारी सब्सिडी: Drone Farming
1. ड्रोन फार्मिंग क्या है और यह कैसे काम करती है?
ड्रोन फार्मिंग या ‘प्रिसीजन एग्रीकल्चर’ (Precision Agriculture) में मानवरहित विमानों (UAVs) का उपयोग किया जाता है। ये ड्रोन सेंसर, जीपीएस और कैमरों से लैस होते हैं जो खेत के ऊपर उड़ते हुए डेटा इकट्ठा करते हैं।
- कीटनाशक और खाद का छिड़काव: जहाँ पहले एक एकड़ खेत में छिड़काव करने में घंटों लगते थे, ड्रोन वही काम मात्र 5 से 10 मिनट में कर देता है।
- फसल की सेहत की निगरानी: इसमें लगे विशेष कैमरे फसल के उस हिस्से की पहचान कर लेते हैं जहाँ बीमारी या पानी की कमी है।
- बीज बुवाई (Seed Bombing): ड्रोन के जरिए दुर्गम इलाकों में बीज छिड़कने का काम भी आसान हो गया है।
2. भारतीय किसानों के लिए ड्रोन के मुख्य फायदे
ड्रोन केवल एक गैजेट नहीं, बल्कि किसान का सबसे बड़ा मददगार साबित हो रहा है:
- स्वास्थ्य की सुरक्षा: कीटनाशकों का सीधे हाथ से छिड़काव करने पर किसानों को जहरीले रसायनों से बीमार होने का डर रहता है। ड्रोन से यह जोखिम खत्म हो जाता है।
- संसाधनों की बचत: ड्रोन तकनीक से 25-50% तक पानी की बचत होती है और कीटनाशकों का बर्बादी कम होती है क्योंकि यह केवल जरूरत वाली जगह पर ही छिड़काव करता है।
- सटीकता (Precision): यह खेत के हर कोने तक समान रूप से पहुंचता है, जिससे पैदावार में 15-20% की बढ़ोतरी देखी गई है।
3. ड्रोन पर सरकारी सब्सिडी (Government Subsidy 2025-26)
भारत सरकार ‘ड्रोन शक्ति’ अभियान के तहत किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए जबरदस्त प्रोत्साहन दे रही है:
| लाभार्थी श्रेणी (Category) | सब्सिडी की राशि | अधिकतम सीमा |
| कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs)/ICAR | 100% सब्सिडी | ₹10 लाख तक |
| FPOs (किसान उत्पादक संगठन) | 75% सब्सिडी | ₹7.5 लाख तक |
| अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला, छोटे किसान | 50% सब्सिडी | ₹5 लाख तक |
| अन्य किसान | 40% सब्सिडी | ₹4 लाख तक |
विशेष टिप: यदि आप ड्रोन नहीं खरीदना चाहते, तो आप ‘कस्टम हायरिंग सेंटर’ (CHCs) से किराए पर भी ड्रोन ले सकते हैं। इसके लिए सरकार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सहायता प्रदान करती है।
4. ड्रोन उड़ाने के लिए जरूरी नियम और लाइसेंस
भारत में कृषि ड्रोन उड़ाने के लिए आपको DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के नियमों का पालन करना होता है:
- रजिस्ट्रेशन: हर ड्रोन का एक विशिष्ट पहचान संख्या (UIN) होना जरूरी है।
- ट्रेनिंग: किसान या ऑपरेटर के पास मान्यता प्राप्त संस्थान से ‘ड्रोन पायलट’ का सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है।
- ग्रीन जोन: किसान अपने खेतों (ग्रीन जोन) में आसानी से ड्रोन उड़ा सकते हैं, लेकिन एयरपोर्ट या मिलिट्री एरिया के पास अनुमति की जरूरत होती है।

5. ड्रोन फार्मिंग की चुनौतियां
जहाँ तकनीक के फायदे हैं, वहीं कुछ चुनौतियां भी हैं:
- शुरुआती लागत: सब्सिडी के बाद भी छोटे किसानों के लिए यह थोड़ा महंगा हो सकता है।
- तकनीकी ज्ञान: ग्रामीण इलाकों में इसके संचालन और मरम्मत (Repairing) के लिए ट्रेनिंग की कमी।
- बैटरी लाइफ: अधिकांश ड्रोन एक बार चार्ज होने पर 20-30 मिनट ही उड़ पाते हैं।
6. 2026 तक ड्रोन फार्मिंग का भविष्य
आने वाले समय में ‘ड्रोन एज़ ए सर्विस’ (DaaS) का मॉडल गांवों में स्वरोजगार का बड़ा साधन बनेगा। युवा स्टार्टअप्स बनाकर गांवों में ड्रोन सेवाएं देंगे, जिससे न केवल खेती आधुनिक होगी बल्कि ग्रामीण युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
ड्रोन फार्मिंग अब भविष्य की बात नहीं, बल्कि वर्तमान की जरूरत है। सरकारी सब्सिडी और तकनीक के मेल से भारतीय किसान अब कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। यदि आप भी अपनी खेती को ‘स्मार्ट’ बनाना चाहते हैं, तो स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर ड्रोन योजना का लाभ जरूर उठाएं।
ड्रोन फार्मिंग (Drone Farming) के विषय को और अधिक व्यापक बनाने के लिए यहाँ कुछ और महत्वपूर्ण टॉपिक्स जोड़े गए हैं, जो किसानों और कृषि उद्यमियों के लिए इस तकनीक के भविष्य को स्पष्ट करते हैं:
7. ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना: ग्रामीण महिलाओं का सशक्तीकरण
सरकार ने विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन तकनीक से जोड़ने के लिए ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना शुरू की है।
- उद्देश्य: स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की 15,000 महिलाओं को प्रशिक्षित ड्रोन पायलट बनाना।
- लाभ: महिलाओं को न केवल ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है, बल्कि उन्हें ड्रोन किराए पर देने का बिजनेस शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता भी मिलती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।
8. ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का संगम
2026 में ड्रोन केवल उड़ने वाली मशीनें नहीं रह गई हैं, वे अब “उड़ते हुए कंप्यूटर” बन चुके हैं:
- स्पॉट स्प्रेइंग (Spot Spraying): AI की मदद से ड्रोन खेत में उड़ते समय खुद पहचान लेता है कि किस पौधे पर कीट लगा है और वह केवल उसी पौधे पर दवा छिड़कता है। इससे रसायनों की बचत 90% तक हो सकती है।
- यील्ड प्रेडिक्शन (Yield Prediction): फसल काटने से कई हफ्ते पहले ही ड्रोन डेटा का विश्लेषण करके बता सकता है कि इस बार कुल कितनी पैदावार होने की संभावना है।
9. पशुपालन में ड्रोन का उपयोग
ड्रोन तकनीक अब खेती से निकलकर पशुपालन (Livestock Management) में भी कदम रख चुकी है:
- झुंड की निगरानी: बड़े चारागाहों में गाय-भैंसों के झुंड पर नजर रखने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है।
- पशुओं की गिनती और थर्मल स्कैनिंग: थर्मल कैमरों वाले ड्रोन रात के अंधेरे में भी खोए हुए पशुओं को ढूंढ सकते हैं और उनकी बॉडी हीट से उनकी सेहत का अंदाजा लगा सकते हैं।
10. फसल बीमा (Crop Insurance) में पारदर्शिता
ड्रोन तकनीक ने फसल बीमा के दावों के निपटारे में क्रांति ला दी है:
- सटीक आकलन: ओलावृष्टि या बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए अब पटवारी या अधिकारियों का इंतजार नहीं करना पड़ता। ड्रोन से ली गई तस्वीरों को सीधे बीमा कंपनियों को भेजा जाता है।
- जल्द भुगतान: डेटा सटीक होने के कारण क्लेम मिलने की प्रक्रिया तेज हो गई है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हो गई है।
ड्रोन बिजनेस के जरिए ग्रामीण स्वरोजगार
2026 में ड्रोन केवल खेती का साधन नहीं, बल्कि कमाई का एक नया जरिया बन गया है:
- ड्रोन सर्विस सेंटर: ग्रामीण युवा अपना खुद का ‘ड्रोन क्लीनिक’ या ‘सर्विस सेंटर’ खोल रहे हैं जहाँ वे किराए पर सेवाएं देते हैं और मरम्मत (Repairing) का काम करते हैं।
- कमाई का अवसर: एक प्रशिक्षित ड्रोन पायलट प्रति दिन ₹2,000 से ₹5,000 तक कमा सकता है, जो गांव में रहकर एक सम्मानजनक आय है।
मृदा विश्लेषण (Soil Analysis) और मैपिंग
बुवाई से पहले भी ड्रोन किसानों की मदद कर रहे हैं:
- 3D मैपिंग: ड्रोन खेत का 3D मैप तैयार करते हैं जिससे पता चलता है कि खेत के किस हिस्से में ढलान है और पानी कहाँ रुकेगा।
- मिट्टी की नमी: इन्फ्रारेड सेंसर्स के जरिए मिट्टी की नमी का स्तर जांचा जाता है, जिससे सिंचाई का सही शेड्यूल तैयार करने में मदद मिलती है।

ड्रोन फार्मिंग के लिए चेकलिस्ट (Quick Guide)
| चरण | क्या करना है? | मुख्य बिंदु |
| चयन | सही ड्रोन चुनें | छिड़काव के लिए ‘स्प्रे ड्रोन’ और निगरानी के लिए ‘सेंसर ड्रोन’। |
| अनुमति | डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म | अपने ड्रोन को ऑनलाइन रजिस्टर करें और UIN नंबर लें। |
| मौसम | मौसम का ध्यान रखें | तेज हवा (20km/h से ज्यादा) या बारिश में ड्रोन न उड़ाएं। |
| रखरखाव | बैटरी और प्रोपेलर | हर उड़ान के बाद प्रोपेलर की जांच करें और बैटरी को ठंडी जगह रखें। |
भविष्य की तकनीक: स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones)
आने वाले समय में एक ही किसान एक साथ 5 से 10 ड्रोन्स के झुंड को नियंत्रित कर सकेगा। यह तकनीक विशेष रूप से बड़े बागानों और सहकारी खेती (Co-operative Farming) के लिए गेम-चेंजर साबित होगी, जहाँ सैकड़ों एकड़ जमीन पर कुछ ही घंटों में काम पूरा हो जाएगा।
निष्कर्ष:
ड्रोन तकनीक भारतीय कृषि का “नया पंख” है। यह न केवल खेती को आसान बना रही है, बल्कि इसे एक हाई-टेक बिजनेस में बदल रही है। यदि भारतीय किसान इस बदलाव को अपनाते हैं, तो “समृद्ध किसान, सशक्त भारत” का सपना 2026 तक हकीकत में बदल जाएगा।
निष्कर्ष (Final Thoughts)
ड्रोन फार्मिंग अब केवल भविष्य की कल्पना नहीं, बल्कि भारतीय कृषि की एक नई हकीकत है। 2026 तक यह तकनीक हमारे गांवों की तस्वीर को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखती है। जहाँ एक ओर यह किसानों की लागत को कम और पैदावार को अधिक कर रही है, वहीं दूसरी ओर ‘नमो ड्रोन दीदी’ और ‘ड्रोन शक्ति’ जैसी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और महिला सशक्तीकरण के नए द्वार खोल रही है।
निश्चित रूप से, शुरुआती लागत और तकनीकी ट्रेनिंग जैसी चुनौतियां अभी भी सामने हैं, लेकिन सरकार की भारी सब्सिडी और युवाओं के बढ़ते रुझान ने इस राह को आसान बना दिया है। यदि भारतीय किसान पारंपरिक अनुभव के साथ इस आधुनिक तकनीक का मेल बिठा लेते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की ‘डिजिटल कृषि महाशक्ति’ बनकर उभरेगा।